
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा, डेवलपर्स की ओर से होम बायर्स पर थोपी जाने वाली एकतरफा शर्तें अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस हैं.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत अपार्टमेंट बायर्स एग्रीमेंट की एकतरफा शर्तों (One-Sided Agreement) को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस (Unfair Trade Practice) करार दिया है. साथ ही कहा है कि बिल्डर्स (Builders) घर खरीदार (Buyers) को एकतरफा शर्तें मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated:
January 13, 2021, 10:31 PM IST
आदेश का पालन नहीं करने पर चुकाना होगा 12 फीसदी ब्याज
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने कहा कि अगर चार सप्ताह के भीतर डेवलपर ने 9 फीसदी ब्याज के साथ खरीदार को पैसे नहीं लौटाए तो उसे पूरी रकम 12 फीसदी ब्याज के साथ लौटानी होगी. इंडिया लीगल लाइव की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में पूरी रकम 1.60 करोड़ रुपये है. बता दें कि डेवलपर ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट इस मामले में विचार कर रहा था कि कब्जा देने के लिए 42 महीने की अवधि को बिल्डिंग प्लान की मंजूरी के दिन या फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट मिलने के दिन में से किस के बाद से माना जाए.
ये भी पढ़ें- आयकर विभाग ने शुरू की फेसलेस पेनाल्टी स्कीम, जानें इसके नेशनल-रीजनल सेंटर की क्या होंगी जिम्मदारियांरेरा के साथ ही उपभोक्ता अदालत में भी जा सकता है खरीदार
शीर्ष अदालत मौजूदा मामले में विचार कर रहा था कि क्या बिल्डर बायर एग्रीमेंट की शर्तें एकतरफा और बिल्डर के हित में हैं. साथ ही यह भी तय किया जाना था कि क्या रेरा (RERA) के होते हुए भी कोई खरीदार उपभोक्ता अदालत (Consumer Court) में जा सकता है. इस मामले में बिल्डर ने घर खरीदार को दूसरे प्रोजेक्ट में घर लेने की पेशकश की. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘ये खरीदार की मर्जी है कि वह बिल्डर की बात माने या नहीं. उसे दूसरी जगह घर लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. इसे उपभोक्ता कानून 1986 के तहत गलत बताया गया और इस तरह की शर्त को एग्रीमेंट में डालने को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2(1)(R) के खिलाफ बताया. कोर्ट ने ये भी कहा कि खरीदार रेरा के साथ ही उपभोक्ता अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकता है.